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सभी को खुरपेंची का नमस्कार ,क्योंकि मेरा भारत महान.पूरे विश्व में कुशासन व तानाशाही के विरुद्ध जो जनान्दोलन प्रारंभ हुआ है उसकी परिणति किस रूप में हो रही है वह सभी को मालूम है.एक एक करके तानाशाह मारे जा रहें है या सत्ता से हट रहें है .फिर भी हम भाग्यशाली हैं .हमारे देश में केवल भ्रष्टाचार के विरुद्ध आन्दोलन प्रारम्भ हुआ है ,जब कि हमारे देश में लोकतंत्र होते हुए भी सत्ताशाही है,जो तानाशाही से कुछ ही कम है.केन्द्रीय सत्ता हो या प्रान्तीय, सत्तासीन व्यक्ति जो चाहेगा वही करेगा,पूरे पाँच वर्ष तक क्योंकि ,भूल वश ही सही,जनता ने उसे चुना है.जनता अपनी भूल का खामियाज़ा खुद भुगते….हम तो भाई जैसे हैं वैसे ही रहेंगे.जब तक हम सत्ता में हैं ,पुलिस व अफ़सर हमारे आदेशानुसार ही सब करने को मजबूर हैं ,वर्ना उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही की जाएगी.कार्यवाही तो उनके विरुद्ध होनी ही है, आदेशों का पालन करेंगे तो भी,क्योंकि हम जनता के मालिक हैं .कानून हम बनाते हैं.हम बहुमत में हैं.हम कोई घोटाला करें अन्ना को क्या लेना-देना.यह सुविचार हमारे सत्ताशाहों का है.
ऐसा नहीं है कि अन्ना के साथ के सभी लोग दूध के धोये हैं.उसमे भ्रष्ट लोग भी अन्ना का मुखौटा लगाकर झंडा लेकर रामलीला मैदान में गए रहें होंगे.लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की अन्ना इमानदार नहीं हैं .लेकिन सत्ताशाहों द्वारा अपनाई जा रही दमनकारी नीति से कांग्रेस का भला नहीं होनेवाला है.अन्ना ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध ठोस पहल की है.कांग्रेस के बड़बोले नेताओं द्वारा राहुल गाँधी के प्रयासों की तो धुलाई की ही जा रही थी ,कि राहुल ने तो हद ही कर दी.उनके नज़र में इतने बड़े देश के प्रधान मंत्री के लिए सौ करोड़ का घूस कोई ज्यादा नहीं है.जन-लोकपाल के आने पर केवल सौ करोड़ का घूस प्रमाणित हो जायेगा तो उसे बदलना पड़ेगा.उनका यह वक्तव्य चुनावी दौरे पर आया है.इसे उनकी नासमझी कही जाय,सोची समझी रणनीति कही जाय या दिग्गी राजा के सोहबत का प्रभाव ,खुरपेन्ची की समझ से भी बाहर है.खुरपेन्ची को तो केवल यही याद आ रहा है कि…….हद कर दी आप ने.
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