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32/34/36…….और शायद…फिर कभी नहीं?

AAKARSHAN
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भाग-दौड़ की जिन्दगी और अनेकों तरह के तनाव ने सामाजिक मान्यताओं को बदल कर रख दिया है.बढती जा रही महंगाई का भी इसमें बहुत योग दान है.बदलते समय ने लोगो को पुरातन विचारों तथा परम्पराओं को छोड़ ,नए तरीके और नयी मान्यताओं को अपनाने को विवश कर दिया है.कहते हैं बेटी लक्ष्मी का रूप होती हैं.लेकिन आज ‘लक्ष्मी’ की उत्कट अभिलाषा होने के कारण,घर की इस लक्ष्मी के विषय में सोचने का समय नहीं रह गया है.बढती हुई बेटी को देख-देख कर मम्मी जी तो परेशान रहती हैं .उन्हें बेटी के हाथ जल्दी से जल्दी पीले करने की चिंता सताने लगती है,लेकिन पापा जी ‘अभी बच्ची है कह कर’टालते रहते हैं.ऐसा नहीं है कि वह इससे अनजान हैं.लेकिन समय नहीं है,आफिस में बहुत काम है और फिर बेटी के लिए अधिक से अधिक पैसा भी तो कमाना है,ताकि उसे अच्छा से अच्छा वर और घर मिल सके.
सी.एम.ओ.साहब गर्व से लोगों से कहते भी हैं कि उनके एक बेटी और दो बेटा है.उनकी बेटी आल-राउंड फर्स्ट क्लास पास है.उनका इरादा तो उसे डाक्टर बनाने का था,लेकिन उसने एम.एस-सी.करने को कहा.उसने कहा था कि वह अपने पैर पर खड़ा होना चाहती है.उसके बाद ही शादी करेगी.उन्होंने भी सोचा कि वह ‘अभी बच्ची है’और फिर उसकी शादी के लिए अधिक पैसा भी तो कमाना है.उसकी मम्मी से, उसकी शादी के लिए सी.एम.ओ.साहब से रोज़ ही कहा-सुनी होती रहती थी.लेकिन उनके पास समय भी तो नहीं था,और फिर दोनों बेटों को भी तो डाक्टरी पढ़ानी थी.उधर रन्नो पीएच.डी.करके पढ़ाने भी लगी.सी.एम.ओ.साहब को अच्छा कार्य करने के कारण समय से प्रोमोशन भी मिल गया.रन्नो की मम्मी से पापा जी का खूब झगड़ा हुआ.उसकी मम्मी ने कहा ‘खूब कमा लिए न,बेटी की शादी न हो तो क्या अपना पैसा लेकर चाटो.जानते हो तुम्हारी बेटी,३२ वर्ष की हो गयी है?तब उनका माथा चकराया और बोले …ब.. त्ती….स की????तुरन्त बोले क़ि उनकी बेटी में कमी क्या है?वह सुंदर है.वेल-एजुकेटेड है,लेक्चरर है ,अच्छा पैसा कमाती है,एक-से-एक अच्छे लड़के मिल जायेंगे और फिर वह भी तो अब अगले महीने रिटायर होने वाले हैं.अब तो समय ही समय रहेगा,और पैसा भी ,अगले महीने से ही लग कर शादी तय कर दूंगा…मम्मी ने कहा ‘तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे ३४-३५ वर्ष के सभी अच्छे लड़के तुम्हारी लड़की के लिए ,अब तक कुंआरे बैठे हैं और तुम्हारी राह देख रहे हैं’.यह कह कर वह रोने लगीं.
रन्नो ,उस समय ,अपने कमरे से सारी बातें सुन रही थी,चुप-चाप. अपने परिवार की मर्यादा-सीमा को उसने न तोड़ने का, जो क़सम खाया था उसके विषय में सोचते हुए वह अतीत की सोचने लगी.समीर का चेहरा उसके सामने आ गया.एम.एस-सी.करते समय उसने किस बेरुखी से समीर का ‘ प्रस्ताव’ठुकरा दिया था,क्योंकि वह अपने पापा के निर्णय को सर्वोपरि मानती थी,और परिवार की मर्यादा के विरुद्ध ,नहीं जा सकती थी.रन्नो ने अपनी माँ से बताया था कि समीर शर्मा ब्राम्हण ही है,और उसने’ प्रस्ताव’किया है.पापा जी ने कहा था कि ,वह चुप-चाप,केवल पढ़ाई करे,उसकी शादी केवल सरयूपारी में ही होगी और जहाँ वह चाहेंगे.
रिटायर होने के बाद रन्नो के पापा,अब न सी.एम.ओ. न कोई और ,तलाश में लगेरहे .लड़के मिले,तो अपने अध्-कट्टू ज्योतिष-ज्ञान से कुंडली मिलान न होने के कारण ,उसे मना कर दिए.अब रन्नो ३४ की हो गई थी.उसने शादी करने से मना कर दिया.लेकिन उसके पापा अपनी नाकामियों से हार नहीं माने और तलाश करते रहे.वह ३६ की हो चुकी थी.उसके पापा बंद कमरे में रो-रो कर ,पश्चाताप करते-करते दुनिया से चले गए.सारी कमाई छोड़ गए.साथ गया तो केवल पश्चाताप.
यह कहानी अकेले नहीं है .आज न जाने कितनी रन्नो इस देश में हैं और सी.एम्.ओ. जैसे पापा लोग भी हैं.ऐसे पापा लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी.अपनी नौकरी या व्यवसाय के साथ-साथ अपनी रन्नो की तरफ भी समय रहते ध्यान देना होगा.जय हिंद! जय भारत!!
(यहाँ सभी पात्र काल्पनिक हैं.यदि किसी से मेल खाते हों तो क्षमा करेंगे.)

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