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भ्रष्टाचार…लोकतंत्र ….और….. चुनाव-सुधार

AAKARSHAN
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महात्मा गाँधी और अन्य, आज़ादी के लिए बलिदान करने वाले ,नेताओं ने जिस लोक-तंत्र की परिकल्पना की थी,क्या वह यही लोक-तंत्र है,जिसे आज की पीढ़ी देख रही है?क्या सरदार वल्लभ भाई पटेल ,मौलाना अबुल कलाम आज़ाद,पंडित जवाहर लाल नेहरु और डाक्टर राजेंद्र प्रसाद ने यह कभी सपने में भी सोचा होगा लोक-तंत्र के इस भ्रष्टाचारी स्वरुप को? शहीद भगत सिंह और सुभाष चन्द्र बोस को यह पता होता तो वह भी अपनी सुख-चैन की जिंदगी अपने परिवार के साथ बिताते और बलिदान का विचार ही त्याग देते.कहीं ,दुर्भाग्य-वश ,वह जिंदा होते तो जीते जी मर गए होते.अफ़सोस की बात यह है कि आज़ादी के पूर्व के कुछ लोग अभी भी जिंदा है और इस भ्रष्टाचारी-लोकतंत्र को बर्दाश्त कर रहे हैं.इससे भी अफ़सोस की बात यह है कि,उनमे से कुछ हमारी नुमाइंदगी कर रहे हैं और सत्ता के लोभ में आँख मूँद कर उनका साथ दे रहे हैं या उनका बचाव कर रहे हैं.इसे भ्रष्टाचारी-लोकतंत्र कहा जाय या लोकतंत्रीय-भ्रष्टाचार ,कुछ समझ में नहीं आता.
जो भी हो लोकतंत्र का कोई विकल्प हमारे देश के लिए किसी प्रकार से हितकर नहीं है.अपने पड़ोसी मुल्कों या मुस्लिम देशो और उनके तानाशाही हश्र हम देख चुके हैं या देख रहे हैं.आवश्यकता केवल इस बात की है कि कैसे अपने महान देश के लोकतंत्र को बचाए रक्खा जय?इसके लिए भ्रष्टाचार की जड़ खोजने के बजाय जड़ से उसे खोदने और नष्ट करने की आवश्यकता है.इसमें समय लग सकता है,लेकिन यह असंभव नहीं है. सशक्त जन-लोकपाल इसमें सहायक हो सकता है लेकिन यही पर्याप्त नहीं है.हमें चुनाव से पूर्व या चुनाव-जनित भ्रष्टाचार को मिटाने का संकल्प लेना होगा.हमें अपनी मानसिकता को बदलना होगा.चाहे किसान हो या व्यापारी,जनता हो या नेता,कर्मचारी हो या अधिकारी,संतरी हो या मंत्री,सभी को अपने हित से ऊपर राष्ट्र-हित के लिए कार्य करना होगा. “चोर मैं नहीं वो” की भावना का त्याग करना होगा.भ्रष्टाचारियों को बाहर का रास्ता दिखाना होगा ,चाहे वह किसी दल का या किसी स्तर का हो तभी यह संभव भी होगा.
लोकतंत्र में भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए चुनाव-आयोग ने चुनाव-प्रक्रिया में कई सुधारों के लिए मीटिंग भी किया है ,और केंद्र-सरकार को अनुशंसा भी किया है.सरकार द्वारा अभी निर्णय लिया जाना शेष है.लेकिन कुछ और भी महत्वपूर्ण बिंदु हैं जिस पर चुनाव आयोग और केंद्र-सरकार को विचार करना चाहिए.सांसद और विधायक निधि, संसद या विधान सभा सभा भंग हो जाने पर पूरी पेंशन आदि जैसे खर्चों और ,चुनाव पर होने वाले भरी खर्च में कटौती करनी होगी.तथा,
१.अपराधियों या संज्ञेय आपराधिक छवि वालों को चुनाव लड़ने से सदैव के लिए बंचित कर दिया जाय.यदि कोई ऐसा व्यक्ति तथ्यों को छुपाकर चुनाव लड़ता है,तो संज्ञान में आते ही उसकी सदस्यता तुरंत समाप्त कर दी जाय,और सदस्यता की अवधि का सारा वेतन,भत्ता वसूल कर लिया जाय.सदस्यता के दौरान यदि किसी संज्ञेय-अपराध में एक-सप्ताह से अधिक जेल में रह जाय तो उसे स्वतः निलंबित समझा जाय और ऐसे मामलों की सुनवाई विशेष न्यायाधीश द्वारा की जाय और अधिकतम एक वर्ष में निर्णय की सीमा राखी जाय.
२.चुनाव -खर्च की सीमा और घटाई जाय,और सरकारी मीडिया का प्रचार में उपयोग करने को बाध्य किया जाय.इसका मतलब यह नहीं है कि सरकारी साधनों या कर्मचारियों का उपयोग करने की छूट दी जाय.
३.जब सरकार द्वारा, एक से अधिक स्थान पर,वोटर-लिस्ट में नाम को अवैध माना जा रहा है तो किस आधार पर किसी को दूसरे या एक से अधिक स्थानों से लड़ने की छूट दी गयी है?अतः जहाँ वोटर-लिस्ट में नाम हो,केवल वहीँ से चुनाव लड़ने की अनुमति हो.किसी को भी, दो या अधिक स्थानों से चुनाव लड़ने पर,परचा /चुनाव रद्द कर दिया जाय.
४.प्रत्येक चुनाव के लिए शैक्षिक योग्यता निर्धारित की जाय.
५.प्रत्येक चुनाव में,पड़े हुए वोट का ५०%या उससे अधिक पाने वाले को ही विजेता घोषित किया जायअन्यथा, जहाँ ५०%से कम वोट मिला हो,पुनः मतदान कराया जाय.इसमें कोई समस्या भी नहीं है,क्योंकि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन के आने के बाद प्रत्येक केंद्र से मिले वोटों की गणना अलग-अलग मालूम हो जाती
है.
६.एक राजनेता के परिवार से केवल एक व्यक्ति को ही चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाय,चाहे वह किसी स्तर का चुनाव हो,यदि वह एक ही मकान में रहते हों.
७.सरकारी कोष से वेतन ,भत्ता पाने वाले किसी व्यक्ति को,चाहे वह अध्यापक हो या अधिवक्ता ,को चुनाव लड़ने से वंचित किया जाय.शिक्षक प्रतिनिधियों के चुनाव के बाद चुने जाने पर नौकरी से इस्तीफा देना हो.
८.सरकारी सेवकों के पति/पत्नी या उनके साथ रहने वाले परिवार के सदस्यों के चुनाव को रद्द कर दिया जाय,अथवा उस सेवक को नौकरी से हटा दिया जाय.
इसी प्रकार से कुछ अन्य बिंदु भी हो सकते हैं,जो लोगो द्वारा सुझाये जाय.लेकिन बिना चुनाव सुधारों के केवल जन-लोकपाल से लोकतंत्र से भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होने वाला है.हमें और आप को भी सुधारना होगा.जय हिंद! जय भारत.

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