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बिजली की चोरी ……और ….समाधान.

AAKARSHAN
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बिजली चोरों के हौसले बुलंद हैं क्योंकि उन्हें कर्मचारियों /अधिकारियों का संरक्षण जो प्राप्त है.हर महीने रकम बंधी है,वसूली का लक्ष्य महंगाई के समानुपात में बढ़ता जा रहा है.यह लक्ष्य समय से पहले प्राप्त किया जा रहा है.”लाइन -लॉस”हर दिन ,हर माह बढ़ता जा रहा है,जिसके आड़ में “वसूली”का लक्ष्य बढ़ता जा रहा है.प्रत्येक छमाही या प्रत्येक वर्ष बिजली के रेट बढ़ते जा रहे हैं,और ईमानदार उपभोक्ता बिजली के बिल के बोझ-तले दबे जा रहे हैं,क्योंकि सरकार इन्हें ही जिम्मेदार मानती है.भला हो ‘चुनावों ‘ का,जो हर वर्ष में आते रहते हैं.कभी लोक-सभा,कभी विधान सभा,कभी पंचायत और नगर-निकाय और प्रायः “उप-चुनाव”के रूप में.इसी कारण से कुछ समय के लिए राहत मिल जाती है.भले ही चुनाव के बाद रेट में भारी बढ़ोत्तरी करके कमर तोड़ दी जाय,और अगले चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस बढ़ोत्तरी में कुछ घटोत्तरी कर दी जाय.
ऐसा नहीं है कि सरकारी नुमाइंदों को इसका इल्म नहीं है.वो तो सरकारी निर्णयों कि आड़ में अपनी रोटी सेकनें से बाज़ नहीं आते.इसके लिए सरकार भी उतनी ही जिम्मेदार है.इनका कहना है कि…..वहां मत चेक करना,क्योंकि वहां दलित -बस्ती है,और…..वहां भी नहीं क्योंकि वहां मुस्लिम-बस्ती है.इसका असर आगामी चुनावों पर पड़ेगा .गावों में अबाध आपूर्ति होनी चाहिए,क्योंकि फसल का सीजन है .वहां मीटर भी मत लगाना क्योंकि किसान नाराज़ हो जायेंगे तो वोट नहीं मिलेगा,भले ही वहां के लोग कुछ भी करें.मंत्री जी चुनाव के पूर्व ,और कभी-कभी बाद में भी,हर्ष के साथ घोषणा करते हैं….” गाँव-वालों….बिजली आप की संपत्ति का साधन है,बेफिक्र होकर,….जब तक मिले..खूब जलाएं.बिजली के साधनों का,जैसे हीटर आदि का खूब जमकर प्रयोग करें….आप हमें वोट देते रहें ,हम मीटर नहीं लगने देंगे.गावों में हर आदमी ,जब-जब बिजली आती है ,भरपूर प्रयोग करते रहते हैं.अधिकांश लोग तो ‘स्विच आन-आफ करने की जहमत भी नहीं उठाते.कुछ लोग तो बिजली के आगमन के हिसाब से भोजन बनाने का समय बदल देते हैं.दिन में आती है तो रात का भी और रात में आये तो दिन का भी ,भोजन बनाकर रख लेते हैं.गैस की परेशानी से जूझने वाले ग्रामीणों को तो यह वरदान साबित हो रहा है,क्योंकि बिजली उनकी संपत्ति….का..साधन है.
शहर के भी कुछ लोगों के लिए भी यह वरदान से कम नहीं है.कनेक्शन के लिए भागने और सुविधा -शुल्क के बाद भी महीनों तक बिजली न मिलने का बाई-पास बना लेने की मजबूरी का नाम ..कंटिया…है.इसके बाद बिजली विभाग वाले खुद ही इनके पीछे भागते रहते हैं.हर महीने हाजिरी देते हैं…..दोनों खुश.बिजली के रेट से भी कोई लेना-देना नहीं.जितना बड़ा…असामी…उतनी ही ‘ख़ुशी’..रंगा और बिल्ला ..दोनों खुश.वसूली का लक्ष्य भी पूरा.परेशान होते रहें ..ईमानदार उपभोक्ता…ये उनकी मर्ज़ी.किसने कहा था इमानदारी को.ज्यादा ..चू-चपड़ किये तो ..अगले..ही महीने…हजारों का बिल प्लस ..विगत कई महीने का बकाया ..बोनस..के रूप में.फिर उन्हें होता है अपनी भूल का एहसास.बिल सही कराने के लिए….एक-मुश्त …सुविधा-शुल्क….इमानदारी के दंड के रूप में.भुगतें या बिना बिजली के रहें…उनकी..मरजी.
बिजली विभाग वाले यदि सक्रिय हो गए तो..भी सांसत .फिर शुरू होता है,….कितने के.वी.ए. का मीटर है,घर में कितने स्विच ,कितने पंखे,फ्रिज,कूलर आदि की गणना.परिणाम…..लोड बढ़ा है.क्या चाहते हो? अर्थ-दंड,एफ.आई.आर…या फिर….एक मुश्त समाधान?…..कोई दबाव नहीं…..तुम्हारी म..र…जी…फिर वही ईमानदार उपभोक्ता.इज्ज़त बचाने के लिए…वही ….एक-मुश्त समाधान.हर विभाग का वसूली कोड होता है.यहाँ उसे …समाधान…कहा जाता है.इसके बाद भी…कटौती की मार.कारण….बताया जाता है ….लखनऊ का आदेश ,ओवर -लोड या..ट्रासफार्मर का जलना.हफ़्तों तक रौशनी-पानी के लिए तरसना….यह सारी असुविधाएं कटिया -मारों को भी होती हैं लेकिन सुविधाएँ भी तो मिलती हैं …वह भी बिना भाग-दौड़ के.सबसे अच्छी बात है कि…बिजली विभाग ….कम से कम …इस मामले में सबको समान-भाव से देखता है.यदि आप के पास तीन-फेस की लाइन है तो तीनों फेस एक साथ कटता है.कोई भेद-भाव नहीं.वैसे बिजली-विभाग के पास हर-एक के लिए अलग-अलग दर से …..समाधान….उपलब्ध है .इलेक्ट्रानिक मीटर का भी ….एक-मुश्त समाधान …उपलब्ध है. आगे…आप..की..म…..र….जी. जय हिंद ! जय भारत!!

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