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बासी-रोटी… और माँ का प्यार (मातृ-दिवस ..12 मई -जागरण – जंकशन फोरम)

AAKARSHAN
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‘माँ’…. का नाम आते ही , एक ऐसी ममता की मूरत ,एक ऐसी करुणामयी सूरत सामने आ जाती है ,जिसे बार-बार देखते रहने की इच्छा होती है.मन यही कहता है कि …हे ईश्वर! मै हमेशा अपनी माँ की गोद में लेटा रहूँ, कभी अपनी माँ से दूर नहीं रहूँ.माँ …किसी की भी हो और कैसी भी ,शायद ही कभी सुना गया हो कि….किसी माँ का व्यव्हार अपने बच्चे के प्रति क्रूरता-पूर्ण रहा हो.माँ …अगर अपने बच्चे को मारती भी है ,तो उसमे उसका ..प्यार छुपा होता है,क्योंकि मारने के तुरंत बाद ,वह पुचकारती भी है. अपने किये पर…पछताती भी है और ….अपने सीने से लगाकर अपने-आप को ही कोसने लगती है.तुरंत ही सब कुछ भुलाकर …..वही बच्चा… अपनी माँ की गोद में…. लिपट जाता है,जैसे …माँ ने नहीं किसी और ने उसे मारा था.यह मेरा ही नहीं आप सभी लोगों का भी ,अनुभव रहा होगा.याद करिये कि…. आप ने बचपन में, माँ से कितने ही ऐसी चीजों की मांग किया होगा …..जो माँ के बस… के बाहर की बात रही होगी,लेकिन……माँ ने उसे आप को अवश्य ही देने का प्रयास किया होगा,और यदि किसी कारणवश …न ..दे पायी होगी तो.. अपनी …आंचल की छाँव में ढक -कर ऐसा ..प्यार दिया होगा कि…..आप अपनी जिद को भूल गए होंगे.यह तो वह बातें हैं …जो आप को याद होंगी ,और भी ऐसी रोज की बातें ….हुई होंगी जो हमारे आप के …मानस-पटल पर धूमिल हो गयी होंगी या उसकी परिधि के बाहर हो गयी हैं. जो भी हो माँ का प्यार ..अतुलनीय होता है.
बचपन की कुछ ऐसी ही यादें ….आज उम्र के इस पड़ाव पर भी,…. मेरे मानस -पटल पर….. विद्यमान हैं,जो भुलाये नहीं भूलती.हम लोग मध्य-वर्गीय परिवार के हैं.मेरा परिवार …देवरिया (उ०प्र०) में रहता था.उन दिनों ..हमारे घर में ..नाश्ते में ….डबल- रोटी…. का प्रचलन नहीं था,केवल…… सिंगल-रोटी …ही चलती थी.खाने में ताज़ी-रोटी… और नाश्ते में….. बासी-रोटी.कभी-कभार पराठा-पूड़ी बन जाया करती थी,लेकिन मुझे …बासी- रोटी… गुड़ के साथ,ही ज्यादा पसंद आती थी, वह भी यदि राब ,जिसे चोटा भी कहा जाता था,के साथ जौ की रोटी मिल जाय तो और भी अच्छा.हम लोगों के साथ ही मेरे चाचा और ताऊ जी का परिवार भी रहता था.सभी भाई-बहन तो एक रोटी भी खा लेते थे,लेकिन मुझे…..दो रोटी ही,……वह भी तोड़ी हुई न हो,…. पूरी हो, चाहिए थी…नहीं तो रोना- गाना शुरू हो जाता .अम्मा(माँ) को यह, भली -भांति ,मालूम था.एक दिन की बात है,की पूरा खाना बन जाने के बाद ,जब अम्मा खाने बैठी तो ,….. उन्हें यह याद आ गया…. और चाची जी से मेरा नाम लेकर पूछ लिया …उसके लिए दो रोटी रख दिया कि नहीं ?चाची जी ने कहा ….आज एक ही रोटी रखा है.अम्मा ने….. अपनी आखिरी रोटी,……जिसे वह तोड़ चुकी थी,उठाकर रख दिया.शाम को स्कूल से आते ही ,बस्ता फेंक कर ,रसोई-घर में चला गया…….भूख लगी थी,लेकिन ,….वहां देखा तो ..एक रोटी टूटी हुई थी.बस !..रोना शुरू…..अम्मा ने कहा कि दूसरा ले लो.लेकिन वहां कोई और रोटी नहीं बची थी,क्योंकि सभी भाई-बहनों ने …पूरी वाली रोटियां खा ली थी.मेरा रोना देख कर…. अम्मा ने…बाकी भाई बहनों को मेरे सामने ….खूब फटकारा(फटकारने का बहाना किया) और मेरी रोटियां लेकर ..भैया को देने लगीं,और बोली कि.. मैं ताज़ी रोटी… बना देती हूँ. मैंने सोचा कि……. यह भी चली जाएगी और ताज़ी रोटी बनने में तो…काफी देर लगेगी,फिर भूख भी जोर से लगी थी,..सो मैंने …अम्मा से धीरे से कहा …नहीं अम्मा! मैं इसे ही खा लूँगा.अम्मा ने हँसते हुए मुझे गले से लगा लिया. ऐसा ही एक बार और हुआ.मुझे अम्मा ..अपने ननिहाल लेकर गयी थी.वहां जब खाना सामने आया तो उनकी ,भाभी जी ने मुझे ..दूध-रोटी नाश्ते में दिया,और कटोरे में …गरम दूध में दो रोटी …तोड़ कर डाल दिया.फिर क्या था?मेरा रोना -गाना शुरू.वहां लोग समझ नहीं पाये…कि क्या हो गया? अम्मा तो समझ गयी और मुझे ….चुप करने का प्रयास करने लगी.लेकिन मैं कहाँ चुप होने वाला था.रोटियां ! और तोड़ी हुई,यह मुझे ….किसी दशा में स्वीकार नहीं था.आखिर हारकर मेरी माँ …ने वहां लोगों से बताया.मुझे फिर से ….रोटी बनाकर दी गयी.लोग खूब हँसे……. ,मेरे ऊपर,लेकिन… मुझे इससे क्या? मैं चुप-चाप खाता रहा.और भी बहुत सी यादे हैं.जब पढने की इच्छा नहीं होती थी,तो दांत-दर्द का बहाने बना लेता था.पिता जी के डांटने के बाद भी अम्मा का स्नेह मिल जाता था और मैं सो जाता था.पिता जी कहते थे…..’जिसके दर्द होगा ..वह इतना जल्दी सो जायेगा?
ऐसी अनेक किस्से-कहानियां है,जब……. मैंने माँ को बहुत परेशान किया था.आज जब सोचता हूँ तो अपने-आप पर हंसी आती है और क्रोध भी.लेकिन…. अम्मा ने मुझे कभी मारा नहीं ,सिवाय एक बार के.आज जब अम्मा नहीं रहीं….. तो यह सोच-सोच कर अफ़सोस होता है . …काश!मेरी अम्मा …..आज भी मेरे पास होती.उस समय की …बासी-रोटी की यादें …आज भी….ताज़ा हैं.यही लगता है कि अम्मा आज भी मेरे सामने आ जाएँगी,..तो मैं उनकी गोद में अपना सर रख कर …उन्हें परेशान करने के लिए क्षमा मांग लूँगा.
जय हिन्द I जय भारत II

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