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शतरंजी चाल….. चीन की या मोदी की ?

AAKARSHAN
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चीन के राष्ट्रपति….. श्री शी जिन पिंग (शी चिन फिंग) भारत आये ……भारत के प्रधान -मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से हाथ मिलाये .मोदी जी ,शिष्टाचार के सारे नियमों को दर-किनार करते हुए गर्मजोशी के साथ ……होटल में उनका स्वागत करने पहुँच गए.भारतीय संस्कृति के अनुसार ……अतिथि देवो भव..की परम्परा का निर्वहन किये. भारत में उनका प्रवेश ,अहमदाबाद गुजरात से हुआ या कराया गया …यह भी लीक से हट कर हुआ.सामान्य तौर पर ….किसी राष्ट्राध्यक्ष का आगमन दिल्ली में होता है और उनके कद के अनुसार ….समकक्ष पदाधिकारी द्वारा आगवानी की जाती है.गुजरात में ही महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम में खादी जैकेट और सूत की माला पहन कर उनका भ्रमण और गांधी जी को नमन ….यह उनकी महात्मा गांधी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि भी कही जा सकती है.गांधी जी के ….’ह्रदय-कुञ्ज ‘की एक-एक वस्तुओं को ध्यान से देखा ,उसके विषय में गंभीरता से जानकारी प्राप्त की और वहां रखी जाने वाली …’विजिटर्स डायरी’ में चीनी भाषा में कुछ लिखा.वहां उनके स्वागत में जो तैयारियां की गयी थी…निःसंदेह ..साबरमती आश्रम के लिए सम्मान का विषय था.लेकिन उन्होंने ……वहां बजने वाले गांधी जी के प्रिय भजन…”वैष्णव जन तो तेने कहिये ……….जाने रे…..”.को ध्यान से सुना और समझा या नहीं और उस पर अमल करने का भी सोचा या नहीं ?यह तो वही बता सकते हैं.हाँ,..वहां के लोक गीत और नृत्य में सपत्नीक जरूर रूचि दिखाया.वहां प्रान्त से प्रान्त का , शहर से शहर का और उद्योग से उद्योग के विकास के समझौते भी हुए.
यह बात तो तय है की भारत पिछले कुछ वर्षों में एशिया के दूसरे और दक्षिण एशिया के सबसे सशक्त देश के रूप में उभरा है. आज देश जिस मुकाम पर पहुंचा है वहां अन्य पडोसी और पश्चिमी देशों को इसकी आवश्यकता है.सभी देशों के लिए भारत एक बड़े अंतर्राष्ट्रीय मार्किट के रूप में अपनी पहचान बना चुका है.यद्यपि चुनाव के पूर्व तक मोदी और भाजपा के लिए देश में पिछली सरकारों ने कोई काम नहीं किया,देश का कोई विकास नहीं हुआ,विदेशी पूँजी-निवेश के धुर-विरोधियों को सत्ता में आते ही,एकाएक ,एफ.डी आई.की सुधि आ गयी.इसके लिए भारत.. चीन,जापान,वियतनाम,अमेरिका ,यूरोप,ऑस्ट्रेलिया आदि देशों की तरफ देखने लगा.जापान से बुनियादी ढांचे ,ऑस्ट्रेलिया से न्यूक्लियर समझौता और वियतनाम से फटाफट हुए तेल-समझौते चीन को खटकने लगे.चीन को लगा क़ि भारत कहीं अमेरिका से भी भारी-भरकम समझौते कर लेगा तो उसकी आर्थिक / विस्तारवादी नीति का क्या होगा?चीन इस समय आर्थिक मंदी की दौर से परेशान है जबकि अमेरिका मंदी से उबरने लगा है.ऐसे में भारत को वह छोड़ना नहीं चाहता है,लेकिन लद्दाख सीमा पर घुसपैठ जारी रखते हुए यह बता भी देना चाहता है कि वह भारत के लिए खतरा भी है, इसलिए सहयोग का प्रबल दावेदार भी है.

यद्यपि दिल्ली में हुए शिखर वार्ता में ……अगले पांच वर्षों में भारत में बीस अरब डॉलर का निवेश करने का भरोसा चीन ने जताया है और मानसरोवर के लिए नया रास्ता देने ,आयात बढ़ाने,रेल विकास ,फिल्म निर्माण ,सांस्कृतिक आदान-प्रदान,सीमा पर आर्थिक-अपराध रोकने एवं पुस्तक मेले में भागीदारी का भरोसा जताया है,लेकिन यह भविष्य के संबंधों पर भी निर्भर होगा. कुल बारह समझौते हुए हैं.इसमें सबसे महत्वपूर्ण बिंदु हैं….दवा और व्यापार के मामले में चीन में भारत की भागीदारी बढ़ाने की,क्योंकि वर्तमान में…लगभग पचास अरब डॉलर के निर्यात के विरुद्ध केवल पंद्रह अरब का आयात चीन करता है.इससे भारी असंतुलन के कारण भारत का व्यापार घाटा बढ़ा है.अंतरिक्ष अभियान में आज के परिवेश में भारत की स्थिति सुदृढ़ हो चुकी है ,अतःइस क्षेत्र में सहयोग से बहुत अंतर नहीं होने वाला है.फिर भी जो कुछ हुआ है उस पर ईमानदारी से अमल हो तो भी दोनों देशों को लाभ ही होगा. यद्यपि भारत ने चीन के और अपने पडोसी देशों के साथ समझौता करके तथा अमेरिका की दोस्ती का हाथ पकड़ कर चीन के विरुद्ध शतरंजी चाल चला है,फिर भी चीन की शतरंजी चाल की अनदेखी करना भारत के लिए महंगा पड़ सकता है.चीन ने पाकिस्तान,बांग्लादेश.म्यांमार,श्रीलंका में अपने लिए जमीन तैयार करने का प्रबंध कर लिया है यहाँ तक कि …माल दीव जैसे ,सामरिक दृष्टि से ,जल सेना के लिए महत्वपूर्ण ठिकाने को भी नहीं छोड़ा है.काराकोरम से लेकर अरुणांचल तक सड़कों का जाल बिछाकर ,वास्तविक नियंत्रण रेखा( एल..ए,सी.) निर्धारित न होने का बहाना बनाकर आखिर क्या साबित करना चाहता है?चीनी राष्ट्रपति से जब हमारे प्रधान-मंत्री ने ..घुस-पैठ का विरद्ध किया तो उन्होंने कूटनीतिक जबाब देकर चुप करा दिया.इससे तो सम्बन्ध चलने वाला नहीं है.

‘ड्रैगन’ हमेशा टेढ़ी चाल चलता है.’हाथी’ की तरह चलने से काम नहीं चलने वाला है.शतरंज बिछ गया है तो यह ध्यान रखना होगा कि….हमारे प्यादे भी सुरक्षित रहें, वार्ना चीनी ऊंट और घोड़े कभी भी ….शह और मात …का खेल खेलने में पीछे नहीं रहेंगे.हमें यह याद रखना होगा कि ……”.हम एक ऐसे सशक्त और सक्षम किरायेदार (ड्रैगन)को अपने घर में रख रहें हैं,उसे निर्बाध रूप से आने-जाने और रहने का एग्रीमेंट कर रहे हैं, जो आर्थिक,सामरिक और धोखा देने में हमसे बीस गुना है,और यदि कोई किरायेदार ….दस और बीस गुना किराया दे रहा है तो सावधानी अपेक्षित है और हर समय चैकन्ना रहते हुए उसकी हर गति-विधि पर कड़ी नज़र रखनी ही पड़ेगी.वर्ना मात निश्चित है.”
जय हिन्द! जय भारत!!

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